घर के मंदिर और दैनिक पूजा-पाठ से जुड़े नियम, जानकारी और सावधानिया


पूजा-पाठ दैनिक जीवन से जुड़ा एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शांतिपूर्ण कार्य है। जिसे सभी घरों में प्रातःकाल और सायंकाल किया जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार घर में पूजा पाठ करने से परिवार में शांति बनी रहती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा रहती है। पूजा करने से घर में मौजूद नकारात्मकता का भी अंत होता है।
यूँ तो सभी अपने रीति-रिवाजों और मान्यताओं के अनुसार घर में पूजा करते हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, पूजा करने के कुछ विशेष नियम होते है और पूजा करते समय उनका ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है। इसके अलावा घर का मंदिर भी घर की सकारात्मकता को प्रभावित करता है। शास्त्रों के अनुसार, घर के मंदिर के भी नियम होते हैं जिनके अनुसार ही मंदिर बनवाना चाहिए। यहाँ हम आपको दैनिक पूजा पाठ और घर के मंदिर से जुड़े नियमों के बारे में बता रहे हैं।
घर के मंदिर से जुड़े नियम
शास्त्रों के अनुसार, पूजागृह – मंदिर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य प्रतिमा, तीन देवियों की मूर्ति, दो गोमती चक्र और दो शालिग्राम नहीं रखने चाहिए। और ना ही इनका पूजन करना चाहिए। ऐसा करना घर की शांति के लिए शुभ नहीं माना जाता।
घर के मंदिर में किसी भी भगवान की मूर्ति 9 इंच (22 सेंटीमीटर) से छोटी होनी चाहिए। इससे बड़ी प्रतिमा घर में रखना शुभ नहीं होता। बड़ी प्रतिमा को मंदिर में रखना चाहिए।
दैनिक पूजा-पाठ के नियम
पूजा के नियमानुसार देवी की परिक्रमा एक बार, सूर्य की सात बार, गणेश जी की तीन बार, विष्णु जी की चार बार और शिव जी की आधी परिक्रमा करनी चाहिए।
पूजा में भगवान की आरती करते समय भगवान विष्णु के सामने 12 बार, सूर्य देव के सामने 7 बार, देवी दुर्गा के सामने 9 बार, शंकर भगवान के सामने 11 बार और गणेश जी के सामने 4 बार आरती घुमानी चाहिए।
घर और मंदिर दोनों स्थानों पर पूजा करते समय केवल जमीन पर नहीं बैठना चाहिए। आसान बिछाकर बैठना चाहिए।
वास्तु अनुसार आपका घर कैसा हो
नए घर का शिलान्यास सबसे पहले आग्नेय दिशा में करना चाहिए। बाकी का निर्माण प्रदक्षिण-क्रम में करना चाहिए।
संध्याकाल, मध्याह्न, मध्य रात्रि में नींव नहीं रखनी चाहिए और ना ही भूमि पूजन करना चाहिए।
पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में नीची भूमि सबके लिए बहुत लाभकारी होती है। जबकि अन्य दिशाओं में नीची भूमि सबके लिए हानिकारक होती है।
वास्तु के अनुसार, घर के उत्तर में पाकड़, पूर्व में वटवृक्ष, दक्षिण में गुलर और पश्चिम में पीपल का पेड़ शुभ होता है। लेकिन पेड़ की छाया घर पर नहीं पड़नी चाहिए।
नए मकान का निर्माण करवाते समय, ईंट, लोहा, पत्थर, मिट्टी और लकड़ी ये सब नए ही लगवाने चाहिए। एक मकान की सामग्री को दूसरे मकान में नहीं लगवाना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है और मकान व् परिवार के लिए हानिकारक होता है।
सोने के समय हमेशा सिर हमेशा पूर्व और दक्षिण दिशा की ओर करना चाहिए।
प्रतिदिन घर से निकलते समय माथे पर तिलक, चंदन लगाना चाहिए इससे दिन शुभ जाता है और सभी कार्य बन जाते हैं।
तो ये थे दैनिक पूजा पाठ, घर के मंदिर और वास्तु के जुड़े कुछ नियम जिनका ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है। माना जाता है, इन नियमों के अनुसार सभी कार्य करने से घर में खुशियां आती हैं और सकारात्मक ऊर्जा रहती है।
घर के मंदिर और दैनिक पूजा-पाठ से जुड़े नियम, जानकारी और सावधानिया घर के मंदिर और दैनिक पूजा-पाठ से जुड़े नियम, जानकारी और सावधानिया Reviewed by Unknown on September 20, 2018 Rating: 5

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